Verben der 1. Klasse | ||||
अ a | ||||
0005.3 049.2.01 |
अव् av |
अवति avati |
¹ erquicken | |
ई ī | ||||
ईक्ष् īkṣ |
ईक्षते īkṣ·ate |
0077.3 #075.44 |
¹ sehen ² wahrnehmen |
|
क ka | ||||
0005.2 107.1.09 |
काङ्क्ष् kāṅkṣ |
काङ्क्षति kāṅkṣati |
¹ begehren ² streben |
|
0682.7 107.1.09 |
आकाङ्क्षति ā–kāṅkṣati |
¹ begehren | ||
काश् kāś |
काशते kāś·ate |
0016.3 #110.36 |
¹ scheinen | |
0003.3 125.1.13 |
क्रन्द् krand |
क्रन्दति krandati |
¹ heulen ² jammern ³ weinen |
|
क्रम् kram |
क्रामति krām·ati |
0008.1 #125.19 |
¹ schreiten | |
अतिक्रामति atikrām·ati |
0021.2 #125.19 |
¹ �berqueren ² �bertreten |
||
0004.1 126.2.22 |
क्रीड् krīḍ |
क्रीडति krīḍati |
¹ spielen | |
ख kDa | ||||
0003.1 133.2.13 |
खाद् kʰād |
खादति kʰādati |
¹ essen ² fressen ³ kauen ⁴ verschlingen |
|
ग ga | ||||
0002.1 136.2.01 |
गम् gam |
गच्छति gaccʰati |
¹ aufsuchen ² erlangen ³ fahren ⁴ gehen |
⁵ gelangen ⁶ kommen ⁷ verstreichen ⁸ werden |
0072.1 136.2.01 |
अधिगच्छति adʰi–gaccʰati |
¹ erlangen ² erwerben |
||
0858.3 136.2.01 |
अनुगच्छति anu–gaccʰati |
¹ befolgen ² begleiten ³ verfolgen |
||
0019.1 136.2.01 |
अवगच्छति ava–gaccʰati |
¹ verstehen | ||
0041.2 136.2.01 |
आगच्छति ā–gaccʰati |
¹ kommen | ||
2093.4 136.2.01 |
उद्गच्छति ud–gaccʰati |
¹ aufgehen | ||
0451.3 136.2.01 |
उपगच्छति upa–gaccʰati |
¹ nähern ² treffen |
||
1066.7 136.2.01 |
पुनर्गच्छति punar–gaccʰati |
¹ zurückkehren | ||
0022.3 136.2.01 |
प्रतिगच्छति prati–gacch·ati |
¹ zurückkehren | ||
0130.3 136.2.01 |
संगच्छति saṃ–gaccʰati |
¹ vereinigen | ||
गर्ह् garh |
गर्हते garh·ate |
0015.1 #138.33 |
¹ tadeln | |
गल् gal |
गलति gal·ati |
0010.1 #138.37 |
¹ tr�ufeln | |
गल्भ् galbh |
गल्भते galbh·ate |
0014.2 |
¹ prahlen | |
0004.2 139.2.01 |
गै gai |
गायति gāyati |
¹ spielen | |
गाह् gāh |
गाहते gāh·ate |
0013.1 #140.42 |
¹ tauchen | |
अवगाहते avagāh·ate |
0024.3 #140.42 |
¹ eintauchen ² hineintauchen |
||
च ca | ||||
0004.3 158.2.31 |
चुम्ब् cumb |
चुम्बति cumbati |
¹ küssen | |
ज ja | ||||
जि ji |
जयति jay·ati |
0071.2 #167.45 |
¹ besiegen ² siegen ³ unterwerfen |
|
जल्प् jalp |
जल्पति jalp·ati |
0007.2 #165.60 |
¹ murmeln ² schw�tzen ³ sprechen |
|
जृम्भ् jṛmbh |
जृम्भते jṛmbh·ate |
0013.3 #169.50 |
¹ g�hnen | |
ट ṭa | ||||
टीक् ṭīk |
टीकते ṭīk·ate |
0017.2 #173.14 |
¹ trippeln | |
त ta | ||||
तप् tap |
तपति tap·ati |
0010.2 #178.47 |
¹ verbrennen | |
तॄ tṝ |
तरति tar·ati |
0007.3 #190.23 |
¹ retten ² �berqueren ³ �berwinden |
|
अवतरति avatar·ati |
0021.3 #190.23 |
¹ herabschreiten | ||
तर्ज् tarj |
तर्जति tarj·ati |
#181.20 |
¹ drohen, bedrohen ² schm�hen ³ verspotten |
|
स्था sthā |
तिष्ठति tiṣṭh·ati |
0008.3 #560.10 |
¹ befinden ² bestehen ³ bleiben ⁴ stehen |
⁵ wohnen |
उत्तिष्ठति uttiṣṭh·ati [ud+tiṣṭhati] |
0023.2 #560.10 |
¹ aufstehen ² erheben |
||
त्वर् tvar |
त्वरते tvar·ate |
0017.1 #197.75 |
¹ eilen | |
द da | ||||
द्युत् dyut |
द्योतते dyot·ate |
0018.3 #219.58 |
¹ gl�nzen | |
ध dha | ||||
धाव् dhāv |
धावति dhāv·ati |
0008.2 #228.60 |
¹ laufen ² rennen |
|
अभिधावति abhidhāv·ati |
0020.1 #228.60 |
¹ angreifen | ||
ध्वंस् dhvaṃs |
ध्वंसते dhvaṃs·ate |
0042.4 #232.26 |
¹ vergehen ² zugrunde gehen |
|
न na | ||||
नद् nad |
नदति nad·ati |
0012.3 #234.40 |
¹ t�nen | |
नम् nam |
नमति nam·ati |
0007.1 #235.39 |
¹ begr��en ² biegen ³ gr��en ⁴ neigen |
⁵ verehren |
नी nī |
नयति nay·ati |
0078.3 #253.33 |
¹ bringen ² fahren ³ f�hren ⁴ treiben |
|
नयते nay·ate |
1810.7 #253.33 |
¹ verbringen | ||
प pa | ||||
पठ् paṭh |
पठति paṭh·ati |
0031.2 #261.29 |
¹ lesen ² vorlesen |
|
प्लु plu |
प्लवते plav·ate |
0013.2 #322.32 |
¹ schwimmen ² treiben |
|
भ bha | ||||
भज् bhaj |
भजते bhaj·ate |
0018.2 #335.15 |
¹ anbeten ² empfangen ³ genie�en ⁴ lieben |
⁵ m�gen ⁶ praktizieren ⁶ verehren |
भृ bhṛ |
भरति bhar·ati |
0011.3 #346.44 |
¹ tragen ² unterst�tzen |
|
भरते bhar·ate |
#346.44 |
¹ tragen | ||
भू bhū |
भवति bhav·ati |
0132.3 #343.44 |
¹ entstehen ² exitieren ³ gereichen ⁴ sein |
⁵ stattfinden ⁶ vorhanden sein ⁶ werden |
अनुभवति anubhav·ati |
0020.3 #343.44 |
¹ erleben ² genie�en |
||
भाष् bhāṣ |
भाषते bhāṣ·ate |
0016.2 #340.11 |
¹ ansprechen ² sagen ³ sprechen |
|
भिक्ष् bhikṣ |
भिक्षते bhikṣ·ate |
0017.3 #341.17 |
¹ bitten | |
म ma | ||||
मज्ज् majj |
मज्जति majj·ati |
0011.1 #351.31 |
¹ versinken | |
य ya | ||||
याच् yāc |
याचते yāc·ate |
0014.3 #387.14 |
¹ betteln ² bitten |
|
व va | ||||
वृत् vṛt |
वर्तते vart·ate |
0176.3 #456.30 |
¹ befinden ² leben ³ sein⁴ weilen |
|
वाञ्छ् vāñch |
वाञ्छति vāñch·ati |
0006.1 #430.43 |
¹ w�nschen | |
श śa | ||||
शङ्क् śaṅk |
शङ्कते śaṅk·ate |
0061.2 #471.51 |
¹ f�rchten | |
शप् śap |
शपते śap·ate |
0014.1 #473.61 |
¹ schw�ren | |
स sa | ||||
सज् saj |
सजति saj·ati |
0011.2 #511.01 |
¹ haften ² h�ngen |
|
सृ sṛ |
सरति sar·ati |
0033.4 #552.12 |
¹ bewegen ² fortbewegen |
|
सृप् sṛp |
सर्पति sarp·ati |
0033.2 #553.08 |
¹ kriechen | |
सद् sad |
सीदति sīd·ati |
0179.5 #513.51 |
¹ sitzen | |
उपसीदति upasīd·ati |
0023.1 #513.51 |
¹ hinzusetzen | ||
निषीदति niṣīd·ati [ni+sīdati] |
0022.1 #513.51 |
¹ setzen | ||
सेव् sev |
सेवते sev·ate |
0015.2 #554.24 |
¹ bedienen ² k�mmern ³ verehren |
|
स्फुट् sphuṭ |
स्फोटति sphoṭ·ati |
0012.2 #564.41 |
¹ sprie�en | |
स्मि smi |
स्मयते smay·ate |
#565.29 |
¹ l�cheln ² versch�mt sein, err�ten |
|
ह ha | ||||
हृ hṛ |
हरति har·ati |
0073.3 #579.34 |
¹ bringen ² empfangen ³ greifen ⁴ nehmen |
⁵ rauben ⁶ schnappen |
अपहरति apahar·ati |
0021.1 #579.34 |
¹ vertreiben | ||
0003.2 575.1.15 |
हस् has |
हसति hasati |
¹ lachen | |
0656.3 575.1.15 |
परिहसति pari–hasati |
¹ auslachen | ||
1358.3 575.1.15 |
विहसति vi–hasati |
¹ auslachen |
Fehlerhinweise, Kommentare und Anregungen sind mir herzlich willkommen.
Letzte Aktualisierung: 2022-09-15